राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त श्रीमती कलाबाई श्याम आनंद ने अपने नाम के अनुरूप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की, कला और कलाकार और कृतित्व को नाम के अनुरूप स्थापित किया
भारतीय गोंड कला आदिवासी संस्कृति को अंतररष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने वाली कलाबाई श्याम आनंद की कलाकृतियां कृतित्व और कर्म जीवन को एक नया आयाम देता है श्रीमती कलाबाई की मृत्यु आदिवासी समाज के साथ-साथ भारतीय कला संस्कृति को एक उच्च श्रेणी के स्थान पर ले जाती है जिन्होंने आदिवासी गोंड कला संस्कृति को चित्रित कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित जहां किया वही उन्होंने समाज को भी जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य अपने संपूर्ण जीवन में किया है राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कला श्याम आनंद का व्यक्तित्व कृतित्व शब्दों में वर्णित और लिखा नहीं जा सकता ।दिनांक 2511 2020 को उन्होंने देव गति को प्राप्त किया दिनांक 26 11 2020 को उनका अंतिम संस्कार राजधानी भोपाल के भदभदा विश्राम घाट पर आदिवासी समाज बंधुओं सहित सैकड़ों गणमान्य नागरिकों के बीच किया गया। श्रीमती कलाबाई ने अपने नाम के अनुसार ही कला और कलाकार को अपने अंतिम समय तक जीवंंत जहां रखा वही वह कला संस्कृति के प्रेमियों के लिए एक प्रेरणा और मार्गदर्शक हमेशा रहेंगे। परिवार जीवन समाज को लेकर चलना उनका जहां उद्देश्य था वही आदिवासी समाज को अपनी कला से उच्च स्थान पर ले जाना भी शायद उनका उद्देश्य रहा होगा जिसकी वजह से ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जहां ख्याति प्राप्त की वही उन्होंने समाज और कला कर्मियों को एक दिशा देने का श्रेष्ठ प्रयास अपनेेेेेे जीवन के अंतिम समय तक किया।
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